कोनेरु हम्पी बनी मिसाल :जीता विश्व रैपिड खिताब !
जैसे - जैसे शतरंज घड़ी में समय घट जाता था भारतीय शतरंज प्रेमियों की धड़कने तेज हो रही थी तभी भारत की कोनेरु हम्पी समय के समाप्त होने के चलते चीन की ली टिंगजी से हार गयी । मौका था विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप में पहले स्थान के लिए टाईब्रेक का और तय होना था की कौन बनेगा 2019 का विश्व महिला रैपिड शतरंज चैम्पियन । ऐसा लग रहा था की एक बार फिर हम्पी के हाथ से विश्व खिताब निकल जाएगा पर इस बार भाग्य हम्पी के लिए कुछ और कहानी पहले ही लिख चुका था अगले ही टाईब्रेक ब्लिट्ज़ मुक़ाबले में हम्पी नें जीत दर्ज करते हुए मैच को अरमागोदेन में पहुंचा दिया और फिर उन्हे खेलना था काले मोहरो से जिसमें ड्रॉ भी जीत के लिए काफी था पर समय कम था पर हम्पी नें अंतिम समय में अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखते हुए वह कारनामा कर दिया जिसका खुद उन्हे लंबे समय से इंतजार था और जो कभी ना कभी उनके हिस्से आना ही था । इतिहास बना और भारत की बेटी कोनेरु हम्पी बन गयी विश्व रैपिड शतरंज चैम्पियन । पढे यह लेख ....
रोमांचक टाईब्रेक मे चीन की लेई टिंगजी को हराकर मॉस्को रूस में लहराया तिरंगा मॉस्को ( निकलेश जैन ) भारत को विश्वनाथन आनंद के बाद आखिरकार दूसरा विश्व चैम्पियन मिल गया है यह जीत भारत को शतरंज के फटाफट फॉर्मेट में से एक रैपिड शतरंज में हासिल हुई और इस विश्व विजेता के ताज को भारत लेकर आई है भारत की बेटी कोनेरु हम्पी ।
मॉस्को में हुए रोमांचक फ़ाइनल में उन्होने चीन की लेई टिंगजी को टाईब्रेक में 2-1 मात देते हुए विश्व खिताब हासिल कर लिया । कोनेरु हम्पी के लिए यह खिताब इसीलिए भी मायने रखता है क्यूंकी वह इस फॉर्मेट में ज्यादा बेहतर नहीं मानी जाती है । रोचक बात यह की उन्हे अच्छा नहीं कहा जाने वाले 13 नंबर की वरीयता मिली थी जिसे उन्होने अपने लिए भाग्यशाली साबित किया । 12 राउंड की इस प्रतियोगिता में अच्छी शुरुआत के बाद छठे राउंड में उन्हे 24 वी वरीय रोमानिया की इरिना बुलमुगा से हार का सामना करना पड़ेगा पर उसके बाद उन्होने जोरदार वापसी की और सबसे महत्वपूर्ण अंतिम दो राउंड में उन्होने रूस की वोइट दरिया को मात दी
और फिर उनसे आगे चल रही चीन की पूर्व विश्व चैम्पियन तान ज़्होंगयी को मात दी । 12 वे राउंड मेन आई इस जीत नें हम्पी के लिए वह रास्ता खोल दिया जिसकी उम्मीद ना नजर नहीं आ रही थी मतलब टाईब्रेक में जीतकर विश्व चैम्पियन बनने का सपना साकार नजर आने लगा था उन्हे टाईब्रेक में चीन की ली टिंगजी से टकराना टकरना था ।
पहले ही टाईब्रेक मुक़ाबले में कोनेरु समय खत्म होने के चलते हार गयी और लगा की यह फॉर्मेट उनके लिए विश्व खिताब नहीं दिला पाएगा पर हम्पी के दिमाग में कुछ ओर ही चल रहा था
इस बार हम्पी यूं हार मानने नहीं आई थी और अगले ही टाईब्रेक मुक़ाबले में उन्होने इसे साबित भी कर दिया
इस मुक़ाबले में जीत के साथ ही कोनेरु नें मुक़ाबला - 1-1 पर कर दिया और अब सब कुछ निर्भर था अरमागोदेन टाईब्रेक पर
सबसे बड़ी बात की अंतिम राउंड के पहले तक हम्पी गोल्ड मेडल से दूर नजर आ रही थी पर तनाव के लम्हो पर खुद पर नियंत्रण उनके लिए जीत की कुंजी साबित हुई । अंतिम अरमागोदेन मुक़ाबले में उन्होने बाजी ड्रॉ खेलते हुए खिताब अपने नाम कर लिया
देखे कोनेरु की जीत का विडियो विश्लेषण - हिन्दी चेसबेस इंडिया यूट्यूब के सौजन्य से
विश्व खिताब हासिल करने वाली आनंद के बाद दूसरी भारतीय – भारत के 5 बार के क्लासिकल तो 2 बार के विश्व रैपिड चैम्पियन विश्वनाथन आनंद के बाद हम्पी नें वह कारनामा किया जिसकी देश के शतरंज को ख़ासी जरूरत थी । भारत की शतरंज क्वीन कहे जाने वाली हम्पी नें आयु वर्ग में कई बार विश्व विजेता का ताज पहना सबसे पहले उन्होने 1997 में विश्व अंडर 10 चैम्पियन ,1998 में विश्व अंडर 12 चैम्पियन तो 1999 में विश्व अंडर 14 का ताज अपने नाम किया । वर्ष 2001 में उन्होने विश्व जूनियर चैम्पियन बनकर देश को पहली बार यह सम्मान भी दिलाया । 2002 में 15 वर्ष की आयु में विश्व की सबसे कम उम्र में ग्रांड मास्टर बनने वाली महिला खिलाड़ी भी बनी । 2006 में हम्पी नें भारत को दोहा एशियन गेम्स में भी दो स्वर्ण पदक दिलाये । आनंद नें उनकी इस जीत पर और उनके शानदार खेल पर कोनेरु हम्पी को बधाई दी ।
माँ बनने के बाद लिया था ब्रेक – कोनेरु हम्पी पर हमें इसीलिए भी गर्व होना चाहिए की 2016-17में शादी के बाद वह एक प्यारी से बेटी की माँ बनी और इस दौरान वह खेल से 2 साल तक दूर रही और पिछले बातुमिओलंपियाड में उन्होने देश के लिए खेलते हुए वापसी की तब लगा की यह आसान नहीं होने वाला पर उन्होने अपने निश्चय से यह सब कर दिखाया और साबित किया की देश की यह बेटी देश के लिए अभी काफी कुछ हासिल करेगी । आने वाले दो वर्षो में अब हम्पी की नजर क्लासिकल विश्व चैम्पियन बनने पर रहगी ।
चेसबेस इंडिया के लिए यह ओर बड़ा गर्व का मौका था जब चेसबेस इंडिया के संस्थापक सागर शाह और अमृता मोकल इस लम्हे को कैद करने के लिए वही मौजूद थे
आज पंजाब केसरी में प्रकाशित हम्पी पर लेख