दिव्या - वन्तिका : भविष्य की है बड़ी उम्मीद !
जब भारतीय टीम के चयन ऑनलाइन ओलंपियाड के लिए किया गया था तो दिव्या देशमुख और वन्तिका अग्रवाल का चयन जूनियर बालिका वर्ग के लिए किया गया ,हालांकि उस समय यह सवाल भी उठे की देश की शीर्ष जूनियर खिलाड़ी आर वैशाली को क्यूँ जूनियर की जगह सीनियर स्थान से खिलाया गया पर दिव्या और वन्तिका नें अपने खेल से कभी भी टीम को मुश्किल मे नहीं आने दिया और इसका ही परिणाम रहा की टीम के स्वर्ण पदक जीतने मे इन दोनों का भी बड़ा योगदान रहा । यह बात भी देखने की है जिस उम्र मे लोग देश के लिए खेलने का ख्वाब देखते है उस उम्र मे यह दोनों ओलंपियाड का स्वर्ण पदक हासिल कर चुकी है और इसका प्रभाव आने वाले मुकाबलों मे नजर आएगा । दिव्या और वन्तिका अगर इसी तरह से मेहनत करती रही तो हम कह सकते है की वो भारत की अगली हम्पी और हारिका बनने की राह पर ही है । पढे यह लेख
भारतीय शतरंज टीम के विश्व शतरंज ओलंपियाड जीतने के बाद देश भर से इस टीम मे शामिल हर खिलाड़ी को जानने की ललक बढ़ गयी है और पंजाब केसरी आज लेकर आया है भारतीय जूनियर बालिका वर्ग की वो दो खिलाड़ी जिन्होने भारत को स्वर्ण पदक दिलाने मे बड़ी भूमिका अदा की । हम बात कर रहे है नागपुर मे रहने वाली 15 वर्षीय दिव्या देशमुख और दिल्ली मे रहने वाली 17 वर्षीय वन्तिका अग्रवाल की जिन्होने भारतीय टीम के अंतिम और छठे बोर्ड से टीम को बेहतरीन परिणाम देकर कई बड़े मुक़ाबले जिताए ।
चीन के खिलाफ दिव्या की जीत भारतीय टीम के बेहद काम आई
दिव्या देशमुख नें ग्रुप चरण मे भारत के लिए 5 मुक़ाबले खेले जिसमें 4 मे उन्होने जीत हासिल की और सिर्फ 1 मुक़ाबला वह हारी । उनका सबसे बड़ा योगदान था चीन के खिलाफ मुक़ाबले मे विश्व नंबर 1 जूनियर खिलाड़ी रही जू जिनेर को मात देकर जीत दिलाई । इसके अलावा जॉर्जिया के खिलाफ भी उन्होने जीत मे बड़ा योगदान किया । फाइनल मुक़ाबले मे इंटरनेट की समस्या होने के पहले वह विश्व जूनियर चैम्पियन पोलिना शुवलोवा के खिलाफ जीत के करीब पहुँच गयी थी ।
दिव्या नें कहा "इस ओलंपियाड मे खेलना और देश का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए अनोखा अनुभव रहा यह मेरा पहला ओलंपियाड था और मैं इससे बेहतर कुछ उम्मीद नहीं कर सकती थी मेरे अभिभावक की कड़ी मेहनत और कई कुर्बानिया इसके पीछे है ,आनंद और हरीकृष्णा सर हम्पी और हरिका दीदी के साथ खेलना एक सपना था और विदित गुजराती सबसे अच्छे कप्तान है और उन्होने कभी भी मुझ पर दबाव नहीं आने दिया"
वन्तिका अग्रवाल नें ग्रुप चरण मे टीम के लिए चार मुक़ाबले खेले और अविजित रहते हुए 3.5 अंक बनाए मतलब तीन जीत और एक ड्रॉ उन्होने ईरान और जर्मनी जैसे बड़े मुकाबलो मे टीम को बड़ी जीत हासिल करने मे मदद की सेमी फाइनल मे पोलैंड के खिलाफ उन्होने बेहद जरूरी मैच ड्रॉ खेलकर की टीम की जीत सुनिश्चित की ।
वन्तिका नें कहा “ मेरे लिए ओलंपियाड पहली बार खेलना एक शानदार अनुभव रहा,सबने शानदार खेला और मुझे खुशी है की हमने पहली बार भारत के लिए ओलंपियाड स्वर्ण पदक जीता ,कप्तान विदित और उपकप्तान श्रीनाथ नें ना सिर्फ मुझे प्रेरित किया बल्कि तैयारी मे भी मेरी मदद की मैं बहुत ज्यादा खुश हूँ "
हिन्दी चेसबेस इंडिया पर हुई दोनों से खास बातचीत
हिन्दी के प्रमुख अखबार पंजाब केसरी मे प्रकाशित इंटरव्यू