खास खबर - जब गंगा किनारे बिछी शतरंज की बिसात
भारत में वैदिक काल से ही वाराणसी शहर का खास महत्व है और इसे भारत ही नहीं दुनिया से सबसे प्राचीन नगरो और सभ्यताओं के जन्म लेने के कारणो में गिना जाता है और इस नगर की सबसे बड़ी पहचान है पवित्र माने जाने वाली नदी "गंगा " । खैर पिछले दिनो यहाँ के काफी प्रसिद्ध और ना सिर्फ धार्मिक बल्कि पुरातन और प्रकृति के मायनों में भी प्रासंगिक अस्सी घाट पर शतरंज की बिछात बिछी और ना सिर्फ भारतीय बल्कि विदेशी पर्यटको नें भी इसका आनंद उठाया । भारत मे अमूमन नदी किनारे शतरंज के खेल के ज्यादा आयोजन मुझे याद नहीं आते ऐसे में यह एक अनूठा प्रयास कहा जा सकता है ।
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नितेश श्रीवास्तव की रिपोर्ट
शतरंज वैसे तो माना जाता है कि यह एक इनडोर (चारदिवारी) में खेले जाने वाला खेल है। लेकिन इस खेल का एक अद्भुत नजारा देखने को मिला भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी में जहां शतरंज की बिसात बिछी पूजनीय व पवित्र नदी गंगा किनारे स्थित अस्सी घाट पर। शतरंज जैसे खेल को यह सुनहरा मौका मिला वाराणसी में ही विगत दिनों 21 से 23 जनवरी के बीच 15वें प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर। जिला प्रशासन की ओर से काशी के अस्सी घाट पर आयोजित काशी खेल महोत्सव के अन्तर्गत शतरंज खेल का आयोजन किया गयाा।
महोत्सव में पांच खेलों का आयोजन किया गया जिसमें शतरंज प्रतियोगिता का आयोजन वाराणसी जिला शतरंज संघ के द्वारा दिया गया। इस खेल का देश-विदेश से आए पर्यटकों व प्रवासी भारतीयों ने जमकर लुत्फ उठाया। वहीं उन्होंने खिलाड़ियों के साथ मैत्री मैच खेल इसे प्रोत्साहित भी किया।
प्रतियोगिता तीन वर्गों में अण्डर-15 ओपेन, अण्डर-13 बालिका और सीनियर वर्ग में आयोजित की गई। प्रत्येक वर्ग में 16-16 खिलाड़ियों ने शतरंज की बिसात पर दिमागी कौशल का शानदार नजारा पेश किया। अण्डर-15 बालिका वर्ग में रेटेड खिलाड़ी मफरूजा फारूकी (1285), अण्डर-15 ओपेन वर्ग में आयुष पटेल (1427) और सीनियर वर्ग में सार्थन दत्ता (1670) ने चैम्पियन बनने का गौरव प्राप्त किया।
गंगा किनारे स्थित अस्सी घाट पर पहुंचे प्रवासी भारतीयों ने इस आयोजन की खुले दिल से सराहना की और कहा कि शतंरज विश्व में तेजी से प्रसिद्धी पाने वाला खेल बनता जा रहा है। पहली बार विश्व में प्रसिद्ध काशी के अस्सी घाट पर इसका आयोजन करने से इस खेल को एक नयी ऊंचाई मिलेगी।
नीतेश श्रीवास्तव की रिपोर्ट