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जन्मदिन मुबारक हो महान बॉबी फिशर

by Niklesh Jain - 09/03/2019

दोस्तो आज बाबी फिशर का जन्मदिन है ! वह सिर्फ एक महान शतरंज खिलाड़ी और पूर्व विश्व चैम्पियन ही नहीं थे बल्कि खेल को आगे बढ़ाने में उनका योगदान शायद किसी भी अन्य विश्व चैम्पियन से बहुत अधिक रहा है आज भी उनके चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए है और ऐसा कोई भी खिलाड़ी नहीं होगा जो उनके नाम से वाकिफ ना हो । तो आज 9 मार्च के दिन हमने उनकी पूरी जीवन गाथा को समेटते हुए एक विडियो तैयार किया है जिसमें उनके जीवन के हर महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया है । मेरे मन में उनकी पूरी कहानी का सार हिन्दी में आपके सामने रखने का विचार आया और मैं खुश हूँ की उनकी कहानी आपके सामने रख पा रहा हूँ , मेरे शब्दो में उनसे ज्यादा इस खेल को समझने वाला ,प्यार करने वाला ,मेहनत करने वाला और इस खेल को विश्व स्तर पर स्थापित करने वाला खिलाड़ी दूसरा और नहीं हुआ । तो पढे यह लेख 

बॉबी फिशर का जन्म अमेरिका के शिकागो में 9 मार्च 1943 को हुआ था शुरुआती दिनो में अपनी बड़ी बहन जॉन से उन्होने शतरंज खेलना सीखा । उनके पिता बचपन से उनके पास नहीं थे और यह बात उन्हे हमेशा परेशान करती थी उनकी माँ रेजिना फिशर बेहद ही विद्वान महिला थी और उन्हे कई भाषाओं का ज्ञान था वो एक नर्स भी थी और सामाजिक कार्यकर्ता भी थी । उनके खिलाफ अमेरकी खुफिया विभाग हमेशा लगा रहता था इन सब के बीच वो हमेशा कोशिश करती की बॉबी हमेशा सबसे अच्छा व्यवहार करे पर  फिशर का स्वभाव बचपन से ही आक्रामक होने लगा था और इस बात की चिंता हमेशा उनकी माँ को लगी रहती ।उन्होने फिशर को शतरंज मे आगे बढ्ने के लिए हर मुमकिन प्रयास किए । 

पर शतरंज जैसे उनके जीवन में एक अनोखा संतुलन लेकर आया और उन्हे कुछ ऐसा मिल गया जो उनके समय को बेहतरीन ढंग से काटने का माध्यम बन गया । करीब 12 वर्ष की उम्र में 1955 में उन्होने टूर्नामेंट में भाग लेना शुरू किया और असाधारण तरीके से प्रगति की और मेहनत भी इतनी की उनकी माँ उन्हे एक मनोवैज्ञानिक को दिखाने ले गयी तो उसने कहा की फिशर को शतरंज खेलना बंद कराना ही सबसे बड़ा खतरा होगा । दरअसल यही बात अंत में सच साबित हुई खैर 14 वर्ष की आयु में फिशर अमेरिका के सान फ्रान्सिस्को में राष्ट्रीय जूनियर चैम्पियन बन गए और उसी वर्ष सभी को चौंकाते हुए उन्होने क्लीवलैंड में अमेरिकन ओपन जीत लिया और न्यू यॉर्क में वे मात्र 15 वर्ष की आयु में अमेरिका शतरंज इतिहास के सबसे कम उम्र के राष्ट्रीय विजेता बन गए ।

फिशर आगे बढ़ना चाहते थे पर आड़े आ रही थी की भाषा सभी अच्छी किताबे रूसी भाषा में हुआ करती थी अतः उन्होने किताबे पढ़ने के लिए सोवियत भाषा रूसी सीखी । 1957 में वे इंटरनेशनल मास्टर बन गए और एक साल बाद ना सिर्फ केंडीडेट टूर्नामेंट के लिए चयनित हो गए बल्कि विश्व शतरंज इतिहास के सबसे कम उम्र के ग्रांड मास्टर बन गए । इस दौरान फिशर की जिंदगी पूरी तरह से शतरंज के रंग में रंग गयी और सोते जागते ,खाते हर समय वो कोई नयी किताब पढ़ते रहते ।

 

पढ़े पूरा लेख 9 मार्च 2017 के लेख में 

जन्मदिन विशेष : बॉबी फिशर -एक महानतम शतरंज खिलाड़ी की जीवन गाथा

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