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"युवा पीढ़ी को नशे से बचाने शतरंज है उपाय "- अभिजय

by Niklesh Jain - 30/11/2017

"किसी की मुस्कराहटों पे हो निसार ,किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार ,किसी के वास्ते हो तेरे दिल मे प्यार ,जीना इसी को नाम है " यह पंक्तियाँ पंजाब केसरी समूह के युवा निर्देशक अभिजय चोपड़ा के लिए जैसे एक सच्ची बात सी लगती है । जब पंजाब आतंकवाद से घिर गया था उस दौर में दो प्रमुख सदस्यों की शहादत देकर भी पंजाब केसरी समूह सच और मानवता का पक्षधर बना रहा और जरूरतमंदो और शहीदों के लिए काम करता रहा । और आज इसी समूह के युवा निर्देशक नें पंजाब को ड्रग्स से बचाने के लिए शतरंज खेल को माध्यम के रूप मे चुना है  वह मानते है की शतरंज की एकाग्रता के जरिये वह युवाओं को नशे का आदि बनने से रोक सकते है । पंजाब केसरी पहला राष्ट्रीय समाचार पत्र है जिसमें खेल पेज पर शतरंज की खबरों को प्रमुखता से स्थान दिया जाता है । साथ ही अब हर माह पंजाब केसरी शतरंज चैंपियनशिप का अनोखा आयोजन अपनी निशुल्क प्रवेश के लिए खासा चर्चा में बना हुआ है और प्रतिभाओं को तराशने का काम कर रहा है । तो आइये मिलते है एक ऐसी शख्सियत से जो भारत को शतरंज का सुपर पावर बने देखना चाहते है । 

पंजाब केसरी समूह के निर्देशक अभिजय चोपड़ा से शतरंज को बढ़ावा देने के विषय में चेसबेस इंडिया की खास बातचीत !

 

निकलेश : चैस प्रतियोगिता के आयोजन के पीछे सोच क्या है?

अभिजय  : पंजाब इस समय नशे की समस्या से जूझ रहा है। युवा पीढ़ी नशे में डूब रही है जिस कारण देश का नुक्सान हो रहा है। हालांकि इसकी रोकथाम के लिए प्रयास हो रहे हैं लेकिन ये प्रयास सही दिशा में न होने के कारण उनके नतीजे नहीं मिल पा रहे। इस बीच मैंने सोचा कि मैं इस बीमारी से युवाओं को दूर रखने के लिए किस तरह का योगदान दे सकता हूं तो मेरे दिमाग में सबसे पहला रास्ता युवाओं को खेलों से जोडऩे का ही आया। पंजाब में युवा स्कूल से छुट्टी होने के बाद गाड़ी उठा कर गेड़ी मारने निकल जाते हैं। यदि उससे मन भर जाता है तो शराब या बीयर का सहारा लेते हैं लेकिन कुछ समय से युवाओं का रुझान शराब के अलावा चरस, अफीम और हैरोइन जैसे नशे की तरफ बढ़ गया था। युवा ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उनके पास वक्त है और ज़िंदगी में उन्होंने अपने लक्ष्य निर्धारित नहीं किए हैं। मेरी सोच है कि युवा यदि अपने लक्ष्य निर्धारित करेंगे तो वे उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मेहनत करेंगे जिससे वे नशे से दूर रहेंगे। मुझे बाकी खेलों में इस तरह का फोकस नजर नहींबोर्ड  खोल कर अभ्यास  कर रहे थे। यह बात मेरे दिमाग में बैठ गई। फिर मैंने जालन्धर के जूनियर चैस खिलाड़ी दुष्यंत से बात की। वह इस समय फीडे मास्टर बन चुका है। दुष्यंत उस वक्त लास वेगास में चैस खेल कर आया था। मैंने उससे पूछा कि उसने वेगास में क्या कैसीनो, ट्वाय शॉप या बड़े-बड़े होटल देखे तो दुष्यंत का जवाब था कि मैं वहां चैस खेलने गया था और मेरा पूरा ध्यान खेल में था। होटल में अपने कमरे में भी चैस का ही अभ्यास कर रहा था क्योंकि मुझे जीतना था। ये दोनों बातें मेरे दिमाग में बैठ गईं और मुझे लगा कि पंजाब के युवाओं को लक्ष्य देना पड़ेगा और यह लक्ष्य सिर्फ चैस से दिया जा सकता है।

पिछले कई दशको से पंजाब में ड्रग्स की समस्या नें तेजी से अपने पैर पसारे है 

 

निकलेश : शतरंज में आपको निजी तौर पर क्या पसंद है?

अभिजय : शतरंज एक खूबसूरत खेल है और इस खेल में आप 15 मिनट में ही जीत का मजा व संतुष्टि हासिल कर सकते हैं। मैं अखबार से जुड़ा हुआ हूं और हमारे प्रोफैशन में सही या गलत का निर्णय अगले दिन का अखबार देख कर होता है लेकिन चैस के खेल में आप 15 मिनट में सही या गलत का नतीजा पा सकते हैं। मैं यहां एक घटना का उल्लेख करना चाहूंगा। मैं ट्रेन में अपने दोस्तों के साथ यात्रा कर रहा था और मैंने अपने एक दोस्त तजिन्द्र बेदी को यात्रा के दौरान चैस खेलते समय 2 घोड़ों के साथ मात दे दी। इस बीच हमारे एक तीसरे दोस्त हेमकंवल ने इस गेम पर टिप्पणी करते हुए फेसबुक पर लिखा-'बेदी दी हार दो घोड़ेयां दी मार। जब हम तीनों दोस्त इकसाथ  होते हैं तो यह घटना हम आज भी याद करते हैं।

पंजाब केसरी ( हिन्द समाचार ) अखबार की स्थापना अमर शहीद लाला जगत नारायण नें सन 1948 में की थी और आज पंजाब केसरी समूह द्वारा चार अखबार पंजाब केसरी (हिन्दी ),हिन्द समाचार (उर्दू ),जगबानी (पंजाबी ) और नवोदय टाइम्स (हिन्दी ) में प्रकाशित होता है । 

 

निकलेश : चैस में प्यादा बढ़ते-बढ़ते रानी जितनी ताकत पा लेता है। क्या असल में भी जीवन आपको ऐसा ही लगता है?

अभिजय : बिल्कुल। भारत में तो हम कर्मों के सिद्धांत को मानते हैं और भगवद् गीता में भी कर्मों का फल मिलने की बात कही गई है लेकिन हम यदि दुनिया के सफल लोगों की बात करें तो वे भी धीरे-धीरे ही ताकतवर हुए। मशहूर पेंटर बिनसन वैंगो ने 18 साल की उम्र में पेंटिंग  बनाना सीखा और 32 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई लेकिन उन्होंने अपने जीवन की बेहतरीन पेंटिंग्स 30 साल की उम्र के बाद बनाई। इसी तरह दुनिया की मशहूर फूडचेन मैकडोनल्ड के मालिक ने यह कंपनी  रिटायरमैंट के बाद शुरू की थी और बाद में यह दुनिया की सफल कंपनियों में से एक बनी।

शतरंज की खबरों को अपने खेल पेज पर प्रमुखता से स्थान देने वाला पंजाब केसरी भारत का अकेला अखबार है 

 

निकलेश : मीडिया में चैस के खेल को जगह नहीं मिलती लेकिन 'पंजाब केसरी में चैस को प्रमुखता से कवर करने के पीछे क्या सोच है?

उत्तर : मैं बाकी अखबारों के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करूंगा क्योंकि वे भी हमारी इंडस्ट्री का हिस्सा हैं लेकिन जिस तरह से टैलीविजन में सारा खेल टी.आर.पी. यानी कि टैलीविजन रेटिंग प्वाइंट का होता है और टी.आर.पी. हासिल करने के लिए ही खबरें चलाई जाती हैं उसी तरह अखबार में वही छपता है जिससे पाठकों की संख्या बढ़े लेकिन पंजाब केसरी समूह की शुरू से ही यह परंपरा रही है कि हम खबरों के मामले में सिद्धांतों से समझौता नहीं करते। मेरे परदादा शहीद लाला जगत नारायण, मेरे दादा जी श्री विजय चोपड़ा और पिता श्री अविनाश चोपड़ा के बाद मुझ पर भी समाज के लिए कुछ करने की ज़िम्मेदारी  है तथा मैं उन्हीं के सिद्धांतों पर चल कर वह काम कर रहा हूं जिससे समाज का भला हो और समाज में बदलाव हो। समाज में इस बदलाव के लिए अखबार की बड़ी भूमिका होती है। जब हम अखबार में लिखते हैं कि प्रग्गानंधा जैसे छोटे खिलाड़ी दुनिया भर में चैस के माध्यम से देश का नाम रोशन कर रहे हैं तो अभिभावकों को भी लगता है कि उनके बच्चे भी ऐसा कर सकते हैं।

नेशनल अंडर 9 में जालंधर के विदित नें शानदार प्रदर्शन किया था 

निकलेश  : 'पंजाब केसरी के टूर्नामैंट से सीखने वाले जालन्धर के जूनियर खिलाड़ी विदित जैन ने टॉप रेटिड खिलाड़ी को हराया तो कैसा लगा?

अभिजय : विदित की सफलता ने मुझे भावुक कर दिया। यह विदित की जीत नहीं थी, यह मेरी खुद की जीत थी और इस जीत से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है। लोगों में यह धारणा है कि मैं अमीर परिवार में पैदा हुआ हूं और हमें सब कुछ विरासत में मिला है लेकिन जब विदित जीत कर आया तो मुझे लगा कि मेरे द्वारा शुरू किए गए इस छोटे से प्रयास से बच्चे आगे बढ़ रहे हैं। यह मेरे लिए परम संतुष्टि की बात थी। मैं चाहता हूं कि देश से सैंकड़ों बच्चे ग्रैंडमास्टर बनें और देश चैस की दुनिया में सुपर पावर बन कर उभरे।

पंजाब केसरी द्वारा आयोजित स्पर्धा में विदित जैसे कई बच्चे लगातार प्रतिभागिता करते हुए आगे बढ़ रहे है 

निकलेश : भविष्य में चैस को लेकर आपकी क्या योजनाएं हैं?

अभिजय  : मैंने बचपन में डर के कारण चैस खेलना छोड़ा था लेकिन अब मैं वह डर बच्चों के मन से खत्म करना चाहता हूं। यह डर तभी खत्म होगा जब बच्चे ज्यादा से ज्यादा प्रतियोगिताएं खेलेंगे। ऐसा करके उनमें आत्मविश्वास आएगा। सवाल यह नहीं है कि हम रेङ्क्षटग टूर्नामैंट करवाते हैं या नहीं क्योंकि मैं ये सब पब्लिसिटी के लिए कर रहा हूं। मैं यह चाहता हूं कि मेरे शहर, मेरे राज्य और मेरे देश के बच्चे चैस में आगे बढ़ें और 'पंजाब केसरीÓ की यह प्रतियोगिता उनके लिए अ यास का एक मंच बने।

पंजाब केसरी के द्वारा आयोजित स्पर्धा में किसी भी बच्चे से कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है और उन्हे भोजन से लेकर हर तरह की सुविधाए दी जाती है 

निकलेश  : प्रतियोगिता के लिए कोई भी एंट्री फीस न लेने के पीछे क्या सोच है?

अभिजय  : इसका सारा श्रेय मेरे पिता श्री अविनाश चोपड़ा जी को जाता है। उन्होंने मुझे कहा कि बेटा किसी भी खिलाड़ी से एक रुपया भी चार्ज नहीं करना है। हम समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं और इसके लिए हमने उन बच्चों से कुछ नहीं लेना जिनमें आगे चल कर देश के लिए खेलने की संभावना है तो मैं कुछ बोल नहीं पाया। अखबार के जरिए यदि मैं समाज में सुधार कर सकता हूं तो मैं यह क्यों न करूं?

पंजाब केसरी समूह के युवा निर्देशक अभिजय चोपड़ा जी ने चेसबेस को इंटरव्यू में बताया कैसे वह शतरंज का प्रयोग युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए कर रहे है !देखे !

 

चेसबेस इंडिया भी बना इस पुनीत कार्य में सहयोगी !

पिछले ही शनिवार और रविवार को आयोजित हुई पंजाब केसरी शतरंज स्पर्धा में चेसबेस इंडिया ने भी प्रतियोगिता में पुरुष्कार स्वरूप चेसबेस इंडिया अकाउंट देने में अपना सहयोग प्रदान किया । प्रथम पुरुष्कार विजेताओं को 1 साल का चेसबेस प्रीमियम अकाउंट और दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले खिलाड़ियों को 3 माह का चेसबेस अकाउंट दिया गया । 

 

 

पंजाब केसरी समूह द्वारा हर माह बड़े स्तर पर अब तक सात पंजाब केसरी शतरंज स्पर्धा आयोजित की जा चुकी है । 

 

आप इस इंटरव्यू को सुन कर भी इसका लुत्फ उठा सकते है !

 

 


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