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‘चैस इन स्कूल’ है सबसे बड़ा लक्ष्य - भारत सिंह चौहान

by निकलेश जैन - 30/05/2017

देश में चैस के भविष्य और खिलाडिय़ों को प्रोत्साहन पर आल इंडिया चैस फैडरेशन के सी.ई.ओ. भारत सिंह चौहान ने पंजाब केसरी के साथ विशेष बातचीत कीउन्होने कहा की आल इंडिया चैस फैडरेशन देश में चैस के विकास के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा है और फैडरेशन पूरे देश के स्कूलों में चैस को लागू करवाने की दिशा में प्रयासरत है। फैडरेशन का मानना है कि स्कूलों में चैस की प्रोमोशन के जरिए ही देश में अच्छे नागरिक पैदा किए जा सकते हैं। देश में चैस के भविष्य, फैडरेशन की आगामी रणनीति और चैस खिलाडिय़ों के लिए नए मौके पैदा करने को लेकर किए जा रहे प्रयासों के बारे में हुई बातचीत । पढे यह लेख 

 

 

प्रश्न-स्कूलों में चैस की प्रोमोशन को लेकर क्या प्रयास किए जा रहे हैं

उत्तर-फैडरेशन ने हाल ही में बहुत उपलब्धियां हासिल की हैं। असल उपलब्धि उस दिन मिलेगी जिस दिन पूरे देश के स्कूलों में चैस लागू हो जाएगा। हम विश्व चैस फैडरेशन के कार्यक्रम ‘चैस इन स्कूल’ को देश भर में लागू करवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं और इसके लिए हम पंजाब सरकार को एक प्रस्ताव भी भेज रहे हैं। हमारा मानना है कि पूरे देश में चैस लागू करने के बाद हम भले ही बहुत ज्यादा ग्रैंड मास्टर या इंटरनैशनल मास्टर पैदा न कर सकें लेकिन हम देश के लिए अच्छे नागरिक जरूर पैदा करेंगे क्योंकि चैस के जरिए दिमाग का विकास होता है और यह खेल खेलते हुए बच्चे ऐसे गुर सीख जाते हैं जो उनकी असल ज़िंदगी  में भी काम आते हैं। बच्चों को खेल खेल में इस बात का ज्ञान हो जाता है कि ज़िंदगी की परिस्थितियों में किस तरह का व्यवहार करना है।

प्रश्र-क्या उत्तर भारत में चैस पापुलर हो रहा है?
उत्तर-बिल्कुल, उत्तर भारत में चैस की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। दिल्ली ने वैभव सूरी, अभिजीत गुप्ता, श्रीराम झा जैसे ग्रैंड मास्टर दिए हैं और पंजाब-हरियाणा से भी अच्छे खिलाड़ी निकल रहे हैं। चैस अब सिर्फ दक्षिण भारत का खेल नहीं रहा बल्कि उत्तर भारत में भी पापुलर हो रहा है। हालांकि दक्षिण भारत के अलावा पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में भी चैस कल्चर है लेकिन पंजाब और हरियाणा में लोग कुश्ती व कबड्डी जैसे खेलों में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं और यहां चैस कल्चर स्थापित नहीं हो पाया लेकिन खेल की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।

प्रश्र-क्या उत्तर और दक्षिण भारत में एक समान संख्या में प्रतियोगिताएं हो रही हैं?
उत्तर-बिल्कुल ऐसा ही हो रहा है बल्कि उत्तर भारत में प्रतियोगिताओं की संख्या दक्षिण के मुकाबले ज्यादा है। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में नैशनल लैवल और ओपन टूर्नामैंट बढ़े हैं। हालांकि इन राज्यों में दक्षिण भारत की तरह चैस कल्चर स्थापित करने में अभी वक्त लगेगा। ऐसा उत्तर और दक्षिण की संस्कृति के कारण भी है।

प्रश्र-फैडरेशन चैस खिलाडिय़ों की क्या वित्तीय सहायता कर रही है?
उत्तर-भारतीय चैस फैडरेशन एक साल में 20 के करीब राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं करवा रही है। हम अंडर-7, अंडर-9, अंडर-11, अंडर-13, अंडर-15, अंडर-17, अंडर-19 सहित कुल 20 तरह की प्रतियोगिताएं करवा रहे हैं और इन प्रतियोगिताओं में क्वालीफाई करने वाले हर खिलाड़ी को प्रतिदिन के खर्च के अलावा रहने और खाने का खर्च दिया जाता है। यह खर्च मेजबान राज्य की चैस एसोसिएशन और अन्य राज्यों की चैस एसोसिएशनों द्वारा मिलकर किया जाता है।

पूरा इंटरव्यू पढे पंजाब केशरी के न्यूज पेज पर 

हिन्दी मे इसे पंजाब केशरी और नवोदय टाइम्स पर प्रकाशित हुआ 

पंजाबी में यह लेख जगबानी में प्रकाशित हुआ 

 


निकलेश जैन 

 


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